This group tracks the responses of shipping industry towards environmental health concerns, highlights influence of shipping companies from EU, US and Japan etc on IMO and its Marine Environment Protection Committee & South Asian governments. It is keen to restore beaches in India, Bangladesh and Pakistan to their pristine glory for the coming generations. For more information visit: www.toxicswatch.org, banasbestosindia.blogspot.com

09/01/2010

ओबामा प्रशासन जहरीले जहाज पर चुप क्यों?



Why is Obama Administration Silent on Toxic Ship ?

नई दिल्ली।। गुजरात में भावनगर एंकरेज पॉइंट पर खड़े मृत अमेरिकी जहाज प्लेटिनम-2 (Platinum II, formerly MV Oceanic) पर अमेरिकी प्रशासन ने चुप्पी क्यों साधी है? इस जहाज को अमेरिकी कानून के उल्लंघन का दोषी पाया गया था, जिसके लिए 5 लाख डॉलर से ज्यादा की पेनल्टी लग चुकी है। बावजूद इसके यह जहाज वहां से निकलकर भारत कैसे आ गया? क्या यूएस मैरिटाइम ऐडमिनिस्ट्रेशन को इसकी भनक नहीं लगी? जहाज को भारतीय सीमा में बीचिंग और ब्रेकिंग की इजाजत न देने के केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद यह यहीं डटा है। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी ने शुक्रवार को शिपिंग मिनिस्ट्री, पर्यावरण मंत्रालय और गुजरात सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

गौरतलब है कि इस जहाज के मालिकाना हक की स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना तय है कि यह अमेरिकी जहाज है। केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने 9 नवंबर को गुजरात मैरिटाइम बोर्ड (जीएमबी) को चिट्ठी में साफ लिखा है कि इस जहाज ने युनाइटेड स्टेट्स टॉक्सिक सब्सटेंसेज ऐक्ट का उल्लंघन किया है। लेकिन जीएमबी ने 1 दिसंबर को पर्यावरण मंत्रालय को लिखा कि यूएस कोस्टगार्ड की मंजूरी लिए बिना कोई जहाज उसकी नजरों से बचकर बाहर कैसे निकल सकता है। टॉक्सिक वॉच के कनविनर गोपाल कृष्ण कहते हैं कि गुजरात पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और जीएमबी भारतीय विभाग की तरह नहीं, बल्कि अमेरिकी प्रशासन के विभाग की तरह काम कर रहे हैं। वे यह मानकर चल रहे हैं कि प्लेनिटनम-2 (एसएस ओशनिक) की जांच अमेरिकी मैरिटाइम एडमिनिस्ट्रेशन ने की होगी, तो हमें जांच की क्या जरूरत? यह बेहद हास्यास्पद है। ऐस्बेस्टस से लदे इस जहाज पर शिपिंग, स्टील और कॉमर्स मिनिस्ट्री को दखल देना चाहिए, ताकि भारत को इस प्रकार की जहरीली डंपिंग से बचाया जा सके। अमेरिकी प्रशासन और भारतीय प्रशासन को चाहिए इस जहरीले जहाज के ओनरशिप की जांच करें।

सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को स्टील मिनिस्ट्री की ओर से शिपिंग मिनिस्ट्री, पर्यावरण मंत्रालय और गुजरात सरकार से पूछा गया कि इस मामले की मौजूदा स्थिति क्या है और यह जहाज किसकी इजाजत से भारतीय सीमा में आया और यहां खड़ा हुआ। गौरतलब है कि वर्ल्ड कस्टम ऑर्गेनाइजेशन की ग्रीन कस्टम्स इनिशिएटिव (जीसीआई) के मुताबिक नैशनल और इंटरनैशनल क्राइम सिंडिकेट खतरनाक कबाड़ डंप करके, स्मलिंग करके हर साल 20-30 बिलियन यूएस डॉलर कमाते हैं।

9 Jan 2010
पूनम पाण्डे
Navbharat Times

1 comment:

  1. you can bet they know about it, I personally made sure of it.

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